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--छवि-- दिल में बसी जो छबि तुम्हारी, कैसे उसे साक

--छवि--

दिल में बसी जो छबि तुम्हारी, कैसे उसे साकार करूं।
मैं तो हूं कलम का पुजारी, तुम्हारी मूर्ति को कैसे आकार दूं।

कागज़  कोरा  झूठ   ना  बोले, रूप  माया  का  जाल,
रूप  का  जादू  चला  के  मुझ पर,कर गई मुझे बेहाल।

अच्छा खासा था मैं,,,,,था अपने परिवार की शान,
तेरे चक्कर में पड़कर मैं,बना घनचक्कर निकली जाती जान।

सोचा नहीं था हालात कभी ऐसे भी होंगे,,,,,,
मन के भावों का बनेगा प्रसाद, आंखों में गंगा जल होगा।

एक    बार    कभी   मुड़कर   देखो   मेरी   ओर,
मैं   आज   भी   वहीं  खड़ा  हूं, ओ  मेरे  चितचोर।
अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻

©Ashutosh Mishra
  #Chhavi 
दिल में बसी जो छवि तुम्हारी, कैसे उसे साकार करूं।
मैं तो हूं कलम का पुजारी, कैसे उसे आकार दूं।
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Ashutosh Mishra

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#Chhavi दिल में बसी जो छवि तुम्हारी, कैसे उसे साकार करूं। मैं तो हूं कलम का पुजारी, कैसे उसे आकार दूं। NojotoHindi NojotoEnglish NojotoNews Nojotothought #विचार

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