शराबियों की हालत देख क्या तरस खाई आपने उनकी तृष्णा को मिटाने क्या खूब पहल की आपने लगी है कई लम्बी लाइनें आज चौराहे तक हर शहर की अर्थव्यवस्था में बदलाव करने की क्या मंजूरी दी है आपने पर एक बात फिर भी सोची कहाँ है आपने हर गली -मौहल्ले की औरत चैन से रही थी आजतक शायद ये बात जची नही थी आपको वरना ऐसा करने को बढ़ावा नही देते आज को गुजर तो वैसे भी रहे थे ये दिन अबतक बिन मधुशाला के क्या कोई मर गया था पाए बगैर इस जहर की बूंद को आप क्या जानो जब बने कोई नशेड़ी अपनी धुन मस्त-मगन उसके बीवी-बच्चे नही सो पाते है कभी इतनी चैन से जहाँ आज मिलजुल कर रह रहे मीठा घोल कर कह तो रहे कि social destancy प्रमुख रहेगी इस दौर में जबतक महामारी भगती नही इस शहर से फिर जानबूझकर क्यों कर रहे ऐसी गलती जिससे अर्थव्यस्था की नही होगी कोई बढ़ोतरी पर हाँ भुखमरी और हताश रह पनपेगी कई दरिंदगी जहाँ घर के हालत सम्भले से भी नही संभलेंगे अंदुरनी हिंसा का शिकार फिर होंगे ऐसे हालात में हर शराबी फिर आएगा इस महामारी की चपेट में कई ऐसे ही हादसे फिर गिने जाएंगे मौत की कोख में nojoto app#poetry app#शराब#जिंदगी के हालत#