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मेरे गांव की बातें कुछ यूं है उसके आबोहवा में एक अ

मेरे गांव की बातें कुछ यूं है
उसके आबोहवा में एक अलग सा सुकुं है
माना डगर मेरे गांव के सारे कच्चे हैं
मगर सबके इरादे शहर के नबाबों से पक्के हैं
सुविधाओं से संपूर्ण नहीं,पर एकता में परिपुर्ण हैं
सब के दुख-सुख की पोटली मंदिर पे खुलती है
जब सुबह-शाम वहां बुजुर्गो की मंडली लगती है
बारिश के पानी में तैरता बच्चों का कागजी नाव उनको एक इनाम लगता है
तो मेहनत के धुप से पकी फसल किसानों को खुशीयों का पैगाम लगता है

 एक अनोखी दुनिया 
मेरे गाँव की।

इस दुनिया को तो हम भूल ही चुके हैं।

लिखें अपने गाँव के बारे में।

#गाँवकीबातें
मेरे गांव की बातें कुछ यूं है
उसके आबोहवा में एक अलग सा सुकुं है
माना डगर मेरे गांव के सारे कच्चे हैं
मगर सबके इरादे शहर के नबाबों से पक्के हैं
सुविधाओं से संपूर्ण नहीं,पर एकता में परिपुर्ण हैं
सब के दुख-सुख की पोटली मंदिर पे खुलती है
जब सुबह-शाम वहां बुजुर्गो की मंडली लगती है
बारिश के पानी में तैरता बच्चों का कागजी नाव उनको एक इनाम लगता है
तो मेहनत के धुप से पकी फसल किसानों को खुशीयों का पैगाम लगता है

 एक अनोखी दुनिया 
मेरे गाँव की।

इस दुनिया को तो हम भूल ही चुके हैं।

लिखें अपने गाँव के बारे में।

#गाँवकीबातें
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