मुँह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन, आवाज़ों के बाज़ारों में ख़ामोशी पहचाने कौन! सदियों सदियों वही तमाशा रस्ता रस्ता लम्बी खोज, लेकिन जब हम मिल जाते हैं खो जाता है जाने कौन! वो मेरी परछाईं है या मैं उस का आईना हूँ, मेरे ही घर में रहता है मुझ जैसा ही जाने कौन! जाने क्या क्या बोल रहा था सरहद प्यार किताबें ख़ून, कल मेरी नींदों में छुप कर जाग रहा था जाने कौन! किरन किरन अलसाता सूरज पलक पलक खुलती नींदें, धीमे धीमे बिखर रहा है ज़र्रा ज़र्रा जाने कौन! - निदा फ़ाज़ली मुँह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन, आवाज़ों के बाज़ारों में ख़ामोशी पहचाने कौन! सदियों सदियों वही तमाशा रस्ता रस्ता लम्बी खोज, लेकिन जब हम मिल जाते हैं खो जाता है जाने कौन! वो मेरी परछाईं है या मैं उस का आईना हूँ, मेरे ही घर में रहता है मुझ जैसा ही जाने कौन!