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White ज़िन्दगी की नाव से मौत का समुन्दर प्यारा है,

White  ज़िन्दगी की नाव से मौत का समुन्दर प्यारा है,
कुछ दोष ज़माने का तो कुछ दोष हमारा है..!

पढ़ा था जो भी किताबों में कहीं,
डूबते को जो तिनके का सहारा है..!

ग़लत है ये भी अब हमने जाना,
डुबाने को अपने ही न किसी का सहारा है..!

मुश्किल में अटकी है जान देखो,
ग़म कर गया घर पर खुशियाँ आवारा हैं..!

मिले न फल कर्मों का जो जीते जी,
तो जीने से बेहतर फिर मरना गवारा है..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #Moon #marna