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जो मुँह तक उड़ रही थी अब लिपटी है पाँव से, बारिश

जो मुँह तक उड़ रही थी अब लिपटी है पाँव से,

बारिश क्या हुई मिट्टी की फितरत बदल गई।

           -मोहित #Baarish #Ki #Fidrat
जो मुँह तक उड़ रही थी अब लिपटी है पाँव से,

बारिश क्या हुई मिट्टी की फितरत बदल गई।

           -मोहित #Baarish #Ki #Fidrat