उसको लिख सके वह कलम तो ले आया,पर लिखावट कहाँ से लाऊँ। जज्बात हजारों है मन में,पर शब्द कहां से लाऊँ ।। बीती हुई रात की वह शाम कहां से लाऊं। मेरे इश्क का हो नशा उसे भी ऐसा जाम कहां से लाऊं।। जो रूठ कर भी मेरे साथ चलती रहे, वो साथ कहां से लाऊं। जो भीगा दे पूरी तरह वह इश्क़ -ए-बरसात कहां से लाऊं।। जो उसको हो पसंद मुझमें वह बात कहां से लाऊं। जो वादा करके छोड़ न जाए वह हाथ कहां से लाऊं।। वह जिस पल के लिए मेरी थी वह वक्त कहां से लाऊं। जो हर पल के लिए मेरी हो वह शख्स कहां से लाऊं।। अर्धसत्य जो कहूं अगर तो,मैं प्रेम रोगी कहलाऊंगा।। शून्य अवस्था में पहुंचकर मैं योगी बन जाऊंगा कहाँ से लाऊँ ।। #कविता #कला #prakashdwivedi #prakashdwivedipoetry #kavita #shyari #kahani #thought #love #passion #poetry #sangeet #music