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एक घर तो मैं भी चाहती हूं इस दुनिया से दूर, जिसमे

एक घर तो मैं भी चाहती हूं इस दुनिया से दूर, जिसमे रह सकू में अपनी खुशियों से भरपूर। पाने के बाद न ख्वाहिश हो किसी की हमे, उसमे बसे बस मोहब्बत का आखिरी नूर। हो हासिल हमें मुकम्मल प्यार उसका, न बीच आए जमाने का दस्तूर। काश वो जमी होती कही हम सच में, पा लेते अपने सपनो का कोहिनूर।

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