कुछ ख्वाब हमने भी सजाए थे ,, कुछ उम्मीदें हमारे पापा ने भी लगाये थे,, कर सकूं देश की सेवा ,, कुछ ऐसे अरमान मां ने भी सजाए थे ,, मेरे भी ख्वाब यही थे देश का सैनिक बन ,, घर के हालात सुधार सकूं,, मां के जेवर सुनार से वापस ला सकूं,, साथ भाई के भी सपने पूरे कर सकूं ,, पर अब कहां मुमकिन है यह सब कर पाऊंगा,, इन 4 सालों में क्या ही कर पाऊंगा ,, फिर आप ही बोलो मां के जेवर कहां से ला पाऊंगा ,, पापा की उम्मीदें और मां के अरमान कहां से पूरा कर पाऊंगा ,, सच तो यह है मैं जवानी में ही रिटायर्ड हो जाऊंगा,, तो भाई के सपने भी कैसे पूरा कर पाऊंगा ,, हां माना ,माना कि हमें भी पैसे दिए जाएंगे,, पर क्या उनसे हम सारे सपने पूरे कर पाएंगे ,, हम युवा में ही रिटायर्ड हो जाएंगे ,, हमसे बुड्ढे नेता बन पेंशन का लूफ्त उठाएंगे ,, और हमारे ख्वाब अधूरे रह जाएंगे,, हमारे ख्वाब अधूरे रह जाएंगे .... ©Pragya Karn #sainik #thought #openions #poem #agniveer #Skeem #Agnipath