आज की पीढ़ी हादसों में मोबाइल आगे बढ़ा,कदम पीछे खींचते हैं, रातोंरात Viral हो,ऐसी कहानी ढूँढते हैं। मानव को तो जीता जागता रोबोट बना दिया अब रोबोट में मानव की परछाईं ढूँढते हैं।। बस्तों के बोझ तले बचपन गुजा़र दिया, मुस्कुराने के अब ज़िंदगी भर बहाने ढूँढते हैं। अरमानों के बोझ ढोते, मौत गले आ लगी है जीने के लिए कोई सुबह अब पुरानी ढूँढते हैं।। ज़िंदगी गँवा दी कौड़ियां जुटाने में, अब,कब्र में एक ज़िंदगानी ढूँढते हैं। सारी कमाई लगा दी,बेटे को पढ़ाने में घर के लिए अब पढ़ी-लिखी नौकरानी ढूँढते हैं।। ©Shubhra Srivastava #Moderntime #India