खाली हाथ और एक बेकार कोशिश हवा को पकड़ने की, धुआं धुआं हुए हम क्योंकि कोशिश रेत को जकड़ने की। दिल उलझा ही नहीं उनका हम उलझकर भी छूट गए, एक और नाकाम कोशिश तेरी दिल मोह में उलझने की। रुआं रुआं हवा में तैरती रही राख ख्वाहिशों की मेरी, नाजुक हाथों से की कोशिश अपनी किस्मत बदलने की। जिस्म क्या रूह भी कर्जदार है चंद प्यार के पलों की, पता था फंसे हैं तो भी कोशिश बेकार की निकलने की। ©सखी #नाकाम #कोशिश #किस्मत #बदलने की