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वक्त पर टूटना चाहता था इक मुरझाया हुआ गुलाब वो कि

वक्त पर टूटना चाहता था 
इक मुरझाया हुआ गुलाब
वो किसी की चाहत में 
मोहब्बत के इजहार में 
शरीक होने को बेताब था
आज जो बेरंग सा झुका है
किसी का दिल टूटने से पहले
किसी का घर टूटने से पहले
सच में टूट जाना चाहता था
जो आज है इक मुरझाया हुआ
*गुलाब*

©Dr Amit Gupta #Rose  Amita Tiwari dhyan mira k Smile shivam rao
वक्त पर टूटना चाहता था 
इक मुरझाया हुआ गुलाब
वो किसी की चाहत में 
मोहब्बत के इजहार में 
शरीक होने को बेताब था
आज जो बेरंग सा झुका है
किसी का दिल टूटने से पहले
किसी का घर टूटने से पहले
सच में टूट जाना चाहता था
जो आज है इक मुरझाया हुआ
*गुलाब*

©Dr Amit Gupta #Rose  Amita Tiwari dhyan mira k Smile shivam rao