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वीर क्रांतिकारी। सब त्याग कर वो च

                 वीर क्रांतिकारी।
सब त्याग कर वो चल पड़े, स्वतंत्रता की जिद कर।
खरा उतरने को, परतंत्र देश की उम्मीद पर।
बांधकर सर पे कफ़न, और हथेलियों पे जान ले।
लाने को नया बिहान, हर बाधा को जीतकर।
               जिनकी आन,बान, शान से; अंग्रेजी हुकूमत घबरा गई।
               गोलियाँ जिनके वक्षों को भेद, मारे शर्म के पथरा गईं।
               कारागृह की अंधेरी कोठियों में भी, जिन्हें रौशनी का भान था।
               जिनकी मंद मुस्कान,  सम्मुख खड़ी मृत्यु को भरमा गई।
जिनके रोम-रोम में जोश था, और रगों में इंकलाब था।
जिनकी आँखों में बेड़ियाँ थीं, और दिलों में सैलाब था।
रोटियों की नहीं, जिन्हें देश की आज़ादी की भूख थी।
जो कहीं बालक खुदीराम था, तो कहीं वीर अशफ़ाक था।
              जाति, धर्म, आयु, लिंग; अमीरी-ग़रीबी और ऊँच-नीच।
              सबके ऊपर उठकर वो, मुठिया बाँध; जबड़े भींच।
              कूद पड़े महासमर में, परवाह सारी छोड़कर।
             जिनके त्याग और बलिदानों ने;  लाई है आजादी खींच ।
जिनके लबों पे वंदे मातरम् !, और दिलों में हिंदुस्तान था।
जिनकी लेखनी में आग थी, और लहू में बलिदान था।
उन वीर क्रांतिकारियों को, शत्-शत् नमन है मेरा।
देश ही जिनका आत्मबल, और देश ही जिनका प्राण था। #patriotism #patriotic #deshbhakti 
Happy Independence day!
                 वीर क्रांतिकारी।
सब त्याग कर वो चल पड़े, स्वतंत्रता की जिद कर।
खरा उतरने को, परतंत्र देश की उम्मीद पर।
बांधकर सर पे कफ़न, और हथेलियों पे जान ले।
लाने को नया बिहान, हर बाधा को जीतकर।
               जिनकी आन,बान, शान से; अंग्रेजी हुकूमत घबरा गई।
               गोलियाँ जिनके वक्षों को भेद, मारे शर्म के पथरा गईं।
               कारागृह की अंधेरी कोठियों में भी, जिन्हें रौशनी का भान था।
               जिनकी मंद मुस्कान,  सम्मुख खड़ी मृत्यु को भरमा गई।
जिनके रोम-रोम में जोश था, और रगों में इंकलाब था।
जिनकी आँखों में बेड़ियाँ थीं, और दिलों में सैलाब था।
रोटियों की नहीं, जिन्हें देश की आज़ादी की भूख थी।
जो कहीं बालक खुदीराम था, तो कहीं वीर अशफ़ाक था।
              जाति, धर्म, आयु, लिंग; अमीरी-ग़रीबी और ऊँच-नीच।
              सबके ऊपर उठकर वो, मुठिया बाँध; जबड़े भींच।
              कूद पड़े महासमर में, परवाह सारी छोड़कर।
             जिनके त्याग और बलिदानों ने;  लाई है आजादी खींच ।
जिनके लबों पे वंदे मातरम् !, और दिलों में हिंदुस्तान था।
जिनकी लेखनी में आग थी, और लहू में बलिदान था।
उन वीर क्रांतिकारियों को, शत्-शत् नमन है मेरा।
देश ही जिनका आत्मबल, और देश ही जिनका प्राण था। #patriotism #patriotic #deshbhakti 
Happy Independence day!