अंधेरों की ओर ज़िंदगी को खुशियों के मेलें रास नही आए, गमों की तन्हाइयों के संग गुजरती रही राहें। ज़िन्दगी को रिश्तों के उजाले भी नहीं भाएं, अंधेरी डगर में गुमनामी के साये साथ आएं। तनहा होकर अंधेरों से घिर रही थी ज़िन्दगी, ज़िंदगी अब अंधेरों से कर रही थी दिल्लगी। ज़िंदगी को अंधेरों से सच्ची मोहब्बत हो गई, अंधेरों ने विरानो के संग अच्छी वफा निभाई। अंधेरों ने उजालों को घेर कर भी रात बनाई, मुझको खुश करने की हर कोशिश अपनाई। #aloneअंधेरों की ओर