जमानत पर छोड़ा है कुदरतने एक निशानी दी है संभल जाओ, सुधर जाओ चेतावनी दी है अंधा नहीं है कानून उसका इंसाफ़ जानता है बिघडे तमाम इंसानों का हिसाब जानता है सरकार बदलने वाली है तुम्हें भी बदलना होगा भविष्य का विचार कर अभी संभालना होगा सुना है उसकी जेलों में सलाखें नहीं होती जल्लाद नहीं होते आखरी ख्वाहिशें नहीं होती कलमें नहीं होती वहां सजाएं भी नहीं होती वहां मौक़े भी मिलते है और माफियां भी संभल जाओ तो ज़िंदगियां भी वहां गुनाह और गलती एक होती है सजा उम्रकैद नहीं, फांसी होती है -Gitesh Mali Nature is the ultimate truth.. respect it!