कैसी अद्भुत शक्ति थी उसकी, क्या था उसकी आन में। अखिल विश्व यह बलि बलि जाए, उस युगपुरुष की शान में।। क्या अदम्य क्षमताएं उसकी, सारा जग यह मान चुका था। उसका शौर्य प्रचंड देखकर, सारे जग का शीश झुका था। प्रखर बुद्धि ने चूर किया ,विद्वानों का अभिमान है। अखिल विश्व यह बलि बलि जाए , उस युगपुरुष की शान में ।। अनुपम व्यक्तित्व और आभा से, ब्रह्मांड ये मोहित हो जाता था। अमियमयी वचनों को सुन,मन पुलकित हो यह गाता था। युग दृष्टा व युगपुरुष, सम्मानों का भी सम्मान है वो। पद्म विभूषण ,भारत रत्न व, भारत मां की शान है वो। राजनीति व मेरे गौरव , और हिंदी माता के गौरव । बाधाओं के बादल में भी, चमके वे बन करके सौरभ । शब्द पड़े कम, दिल हुआ भारी;और आंखें हुई नम । कलम करुण क्रंदन कर लजाई । अरे उसको उपमा दें हम किसकी, क्या कह दे सम्मान में। अखिल विश्व यह बलि बलि जाए, उस युगपुरुष की शान में।। ★© हरिशंकर शुक्ला 'हरि'★ #भूतपूर्व प्रधानमंत्री और #भारत रत्न #अटल बिहारी #बाजपेयी जी को समर्पित