कविता... भुला दिया मुझे ऐसे! जैसे मेरा कोई वजूद ही नही था! फाड़ दिया पन्ना मेरा अपनी किताब से! जैसे कुछ लिखा ही नही था! मिटा दी मेरी सब यादें! जैसे मेरा कोई अस्तित्व नही था! बन गया अजनबी! जैसे कभी मिला ही नही था! बोल रहा था झूठ! जैसे सच वही था! बना दिया गैर! जैसे कोई रिश्ता ही नही था! हस रहा था ऐसे! जैसे कोई गम ही नही था! निकाल रहा था गलतिया! जैसे सारा कसूर मेरा ही था!.. 💔🥀 ©Sharma ji poem is lines correct #Rose