जिस ने लगाया था गले अच्छे लिबास से मुझे आज कम वक्त वह सूरत फिर नजर आ गई भूल तो चुका था मैं कभी का उस चेहरे को पर हटा के नकाब को बीती यादें जगा गई गोलू स्वामी mullakaat usse