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कौन बचाएगा धरती? तब कैसे बच पाएंगे किसान और गांव?

कौन बचाएगा धरती?
तब कैसे बच पाएंगे किसान और गांव? प्रकृति से छिटक जाएगा इंसान। कलियुग के बाद प्रलय की पूर्ण तैयारी हो रही है। आज के नए बीजों, रासायनिक खाद और कीटनाशकों का ताण्डव बढ़ता जा रहा है। इनके कारण कैंसर का बढ़ता आतंक और उसका सारा दोष कृषकों-दुग्ध उत्पादकों के माथे। जबकि इन आत्म-हत्याओं और बढ़ते रोगों का सारा दोष सरकारी नीतियों और अधिकारियों द्वारा इनके क्रियान्वयन के माथे पडऩा चाहिए। इनकी सारी नीतियां पलायनवादी हैं। कोई भी जिम्मेदारी उठाने की क्षमता एवं मानसिकता इनमें नहीं है। तब कौन बचाएगा कृषि और पशुधन? कौन बचाएगा धरती? तब कैसे बच पाएंगे किसान और गांव? प्रकृति से छिटक जाएगा इंसान। कलियुग के बाद प्रलय की पूर्ण तैयारी हो रही है।
कौन बचाएगा धरती?
तब कैसे बच पाएंगे किसान और गांव? प्रकृति से छिटक जाएगा इंसान। कलियुग के बाद प्रलय की पूर्ण तैयारी हो रही है। आज के नए बीजों, रासायनिक खाद और कीटनाशकों का ताण्डव बढ़ता जा रहा है। इनके कारण कैंसर का बढ़ता आतंक और उसका सारा दोष कृषकों-दुग्ध उत्पादकों के माथे। जबकि इन आत्म-हत्याओं और बढ़ते रोगों का सारा दोष सरकारी नीतियों और अधिकारियों द्वारा इनके क्रियान्वयन के माथे पडऩा चाहिए। इनकी सारी नीतियां पलायनवादी हैं। कोई भी जिम्मेदारी उठाने की क्षमता एवं मानसिकता इनमें नहीं है। तब कौन बचाएगा कृषि और पशुधन? कौन बचाएगा धरती? तब कैसे बच पाएंगे किसान और गांव? प्रकृति से छिटक जाएगा इंसान। कलियुग के बाद प्रलय की पूर्ण तैयारी हो रही है।