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गंगा के धारा सी पावन,धैर्य हिमालय से ऊंचा है, चट्ट

गंगा के धारा सी पावन,धैर्य हिमालय से ऊंचा है,
चट्टानों सा साहस है उसमें, हे नारी ना तुमसा कोई दूजा है,
शीतलता तुममें मां सीता सी,ज्वाला जैसे अग्निसुता हो,
तुम्हीं नाम हो लक्ष्मीबाई जिसने हर रण को जीता हो,


अंसुइया के आंचल को पाने,तीनों लोकों के स्वामी तक बाल हुए,
सत्यवान के सती के आगे,नतमस्तक खुद काल हुए।।
सहम उठी अकबर की सेना,बन दुर्गावती जब हुंकार किया,
रौद्र रूप रख मां काली का,तुमने ही दुष्टों का संहार किया,


तैर गई तुम सात समंदर,ऊंचे पर्वत की चोटी को पार किया,
पंख पसार जब उड़ी कल्पना,अपने सपनों को साकार किया,
जना कर्ण,अर्जुन को तुमने,वीरों की माला का एक हार दिया..
लगा कलेजे से रखती थी जिसको गौरवभूमी पर वार दिया,


हे नारी तुम सहनशील हो धरा के जैसी,हृदय समंदर सा विशाल लिए,
तुम नायिका धर्मयुद्ध की, आगे बढ़ी मशाल लिए,
तुम ममता की मूरत हो देवी,सकल विश्व को प्यार दिया..
बिखर गए जो रेत के जैसे,नया उन्हें आकार दिया..


प्रसाद प्रेम का विष पीकर गाथा मीरा की अमर हुई,
संग कृष्ण के चला जग सारा,पर सबने राधा को ही पूजा है,
हे नारी तुम बनी नारायणी ,ना तुमसा कोई दूजा है,
तुम गंगा के धारा सी पावन,धैर्य हिमालय से ऊंचा है..

©the_unsung_teller #happyinternationalwomensday
गंगा के धारा सी पावन,धैर्य हिमालय से ऊंचा है,
चट्टानों सा साहस है उसमें, हे नारी ना तुमसा कोई दूजा है,
शीतलता तुममें मां सीता सी,ज्वाला जैसे अग्निसुता हो,
तुम्हीं नाम हो लक्ष्मीबाई जिसने हर रण को जीता हो,


अंसुइया के आंचल को पाने,तीनों लोकों के स्वामी तक बाल हुए,
सत्यवान के सती के आगे,नतमस्तक खुद काल हुए।।
सहम उठी अकबर की सेना,बन दुर्गावती जब हुंकार किया,
रौद्र रूप रख मां काली का,तुमने ही दुष्टों का संहार किया,


तैर गई तुम सात समंदर,ऊंचे पर्वत की चोटी को पार किया,
पंख पसार जब उड़ी कल्पना,अपने सपनों को साकार किया,
जना कर्ण,अर्जुन को तुमने,वीरों की माला का एक हार दिया..
लगा कलेजे से रखती थी जिसको गौरवभूमी पर वार दिया,


हे नारी तुम सहनशील हो धरा के जैसी,हृदय समंदर सा विशाल लिए,
तुम नायिका धर्मयुद्ध की, आगे बढ़ी मशाल लिए,
तुम ममता की मूरत हो देवी,सकल विश्व को प्यार दिया..
बिखर गए जो रेत के जैसे,नया उन्हें आकार दिया..


प्रसाद प्रेम का विष पीकर गाथा मीरा की अमर हुई,
संग कृष्ण के चला जग सारा,पर सबने राधा को ही पूजा है,
हे नारी तुम बनी नारायणी ,ना तुमसा कोई दूजा है,
तुम गंगा के धारा सी पावन,धैर्य हिमालय से ऊंचा है..

©the_unsung_teller #happyinternationalwomensday