इक जरा सी बात पर रिश्ते बिखर गये , मै भी वो नहीं रहा , वो भी बदल गए। गर्दिशे हालात थी या मेरा कुसूर था, इक मोड़ आया राह में रास्ते बदल गये । उनको भी तलाश थी शायद बहाने की, अपने बनाये उसूलों से हम भी मुकर गये। फिसलती इन राहों पर संभल रहे थे हम, आखिर तो इंसान थे, हम भी फिसल गये। यार का दामन इन्हें नसीब कहां था, जो अश्क आंख से गिरे, मिट्टी में मिल गये । अतीत #newplace maihar