तेरी याद बहुत आती है ये आख बहुत रोती है बेचैनियत और तन्हाई बढ़ती जाती है अब तू तो आती नहीं इसलिए तेरी याद बहुत सताती है पल पल मुझे तडपाती है खामोशियां ही सब बोल जाती है तेशविर तेरी देख के फिर हलचल सी मच जाती है अपनी जिंदगी भी अब लॉकड़ाऊन जैसी लगती है तू ही जरूरी है और तू ही पास नहीं आती है तेरे अलावा किसी और से मुझे मुहौबत रास नहीं आती है ये धरती भी आश्मान पे मरती है तू चाहती है मुझे फिर दुनिया से क्यू डरती है शरम लाज धर्म जात का बंधन तोड़ तू करती है प्यार तो एक बार इजहार कर तू। ✍️Manoj Singh Gaira #याद in new view