मेरी मेहबूबा जब से उसे चाहने लगा हूँ, खुद से दूर जाने लगा हूँ। न जाने क्यूँ आजकल, गीत प्रेम के गाने लगा हूँ?? उसे देखा भी नहीं कभी , और खुद को भरमाने लगा हूँ। चाँद है या गुल है कोई, सोच-सोच कर पगलाने लगा हूँ।। ऐसी होगी या फिर वैसी होगी, मन को समझाने लगा हूँ। तस्वीरें देखकर जिसकी तिसकी, खुद को फुसलाने लगा हूँ।। कभी खुशबू, कभी हवा, कभी बारिश समझता हूँ। तो कभी शमा जान उसे, परवाना बनकर रहता हूँ।। ख़्वाबों में खोया रहता हूँ, खुद से बातें करता हूँ। अगन अंतर में प्रेम की, हरदम सहता रहता हूँ।। कोई बताए उसे जाकर, कितना प्यार मैं करता हूँ। पल-पल उसकी यादों में, कितना घुटता रहता हूँ?? #blindlove #merimehbooba #firstlove #lovequotes #feelings #realfeelings