बहकने के साजो-सामान बहुत है,जमाने में। मय की दहलीज़ पर आकर समलता कौन है? तारीफ ग़र गुनाह-सा ख़लल करने लग जाए। रसूखदारो की दावतों पर निकलता कौन है? मुकेश गोगडे रसूखदार-प्रतिष्ठित लोग, खलल-रुकावट ©kavi mukesh gogdey #MirzapurSeason2