काँपती लौ, ये स्याही, ये धुआँ, ये काजल उम्र सब अपनी इन्हें गीत बनाने में कटी कौन समझे मेरी आँखों की नमी का मतलब ज़िन्दगी गीत थी पर जिल्द बंधाने में कटी गोपाल दास नीरज #NojotoQuote शायरी