कलियों से रूठ करके जिस दिन से भौंरा गया था, बदल भी उस दिन से चाँद से रूठ गया था। हक्कीकत आखिर क्या है मैं देखने गया तो, थी हाँथ में रची उसकी मेहंदी और मैं लेट होगया था। कलियों से रूठ कर के जिस दिन से भौंरा गया था, बदल भी उस दिन से चाँद से रूठ गया था। हक्कीकत आखिर क्या है मैं देखने गया तो, थी हाँथ में रची उसकी मेहंदी और मैं लेट होगया था। #ravi ravi