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कलियों से रूठ करके जिस दिन से भौंरा गया था, बदल भ

कलियों से रूठ करके
 जिस दिन से भौंरा गया था,
बदल भी उस दिन से चाँद से रूठ गया था।
हक्कीकत आखिर क्या है मैं देखने गया तो,
थी हाँथ में रची उसकी मेहंदी और मैं लेट होगया था। कलियों से रूठ कर के जिस दिन से भौंरा गया था,
बदल भी उस दिन से चाँद से रूठ गया था।
हक्कीकत आखिर क्या है मैं देखने गया तो,
थी हाँथ में रची उसकी मेहंदी और मैं लेट होगया था। #ravi ravi
कलियों से रूठ करके
 जिस दिन से भौंरा गया था,
बदल भी उस दिन से चाँद से रूठ गया था।
हक्कीकत आखिर क्या है मैं देखने गया तो,
थी हाँथ में रची उसकी मेहंदी और मैं लेट होगया था। कलियों से रूठ कर के जिस दिन से भौंरा गया था,
बदल भी उस दिन से चाँद से रूठ गया था।
हक्कीकत आखिर क्या है मैं देखने गया तो,
थी हाँथ में रची उसकी मेहंदी और मैं लेट होगया था। #ravi ravi
raviravi7500

Ravi Ravi

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