कब तक ये अपमान सब के साथ होगा, आज हुआ है मेरा कल तुम्हरा होगा। लूटी है एक बच्ची की आबरू इनको पता भी नही, अरे कुछ तो शर्म करो अब उसका कुछ बचा नही। माँ बोली हल्दी लगा के उसकी आखरी बिदाई करूंगी, बिना बताये उस बच्ची को तुमने दफन कर दिया उस बच्ची को नही तुमने अपने, संविधान को दफन कर दिया। अरे जल्लाधो कुछ तो शर्म किया होता, बलत्कार करने से पहेले अपने माँ बहेन को याद कर लिया होता। ओ भी किसी की बहेन बुआ मौसी और साली थी, कुछ दिनो बाद ओ भी पिया के संग नईहर जाने वाली थी। उसके भी कुछ सपने रहे होंगे, कुछ अपने रहे होंगे उसके सारे सपनो को उन जल्लाधो ने चूर चूर कर दिया, फिर भी मन नही भरा तो उसका गर्दन मरोड़ दिया। ओ चीखती रही चिल्लाती रही, उसके सारे सपने टूट गये अब कुछ उसका बचा नही माँ फूट फूट कर रोई फिर भी लाश तक दिया जाने नही । रेप तो बड़े शौक से चारो ने किया, किसी से कह ना सके ओ, तो उसकी जुबान काट दिया । ठाकुर होते तो अपनी ठकुरई दिखाते, होते असली बाप के तो जुबान नही काटते । कायरता का तुम सबने सबूत दे दिया, होे नही असिले अपने बाप के ये सारे जमाने को बता दिया । ✒dr.chaudhari #justuce_for_ManishaValmiki