'उस रावण-सा' चरित्र कहाँ रखता है बुराई रखकर भी चरित्र की पवित्रता कहाँ रखता है पर स्त्री को देखकर भी स्पर्श के मोह को कहाँ ख़त्म करता है! 🌹 'उस राम-सा' विस्तार कहाँ रखता है अपने गुण अपने तक सीमित रख जन-जन तक कहाँ पहुँचाता है देख विपदा में पीड़ित जन आँख-कान मूँद लेता है! 🌹 मेरी झ्स रचना में पौराणिक रावण-राम की आज के रावण-राम से तुलना की गयी है! कृप्या ध्यान से कमझें🙏) आप सभी को बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक पर्व दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएँ। #doublecollab #रामरावण #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi