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सवेरे को आते हुए किसी ने नहीं देखा और चांद को जाते

सवेरे को आते हुए किसी ने नहीं देखा और चांद को जाते हुए भी किसी ने नहीं देखा पर फिर भी दोनों आंधी आए या दुफान अपना - अपना काम करना नहीं छोड़ते । हम थोड़ी सी कम खुशियों मैं भी भगवान को कोसने लगते है पर रोशनी अंधेरे घरों में भी अपनी रोशनी देकर जाती है । उसके लिए ना कोई जात होती है नाही कोई अमीरी गरीबी सब में अपनी रोशनी बराबर बराबर देती है । हमे इन दोनों से कुछ ना कुछ सीखना चाहिए कि जाहे हमारी ज़िन्दगी में कैसी भी परिस्थिति आए हमे घबराना नहीं चाहिए और उन सब चुनौतियों का हिम्मत से सामना करना चाहिए। #सवेरे
सवेरे को आते हुए किसी ने नहीं देखा और चांद को जाते हुए भी किसी ने नहीं देखा पर फिर भी दोनों आंधी आए या दुफान अपना - अपना काम करना नहीं छोड़ते । हम थोड़ी सी कम खुशियों मैं भी भगवान को कोसने लगते है पर रोशनी अंधेरे घरों में भी अपनी रोशनी देकर जाती है । उसके लिए ना कोई जात होती है नाही कोई अमीरी गरीबी सब में अपनी रोशनी बराबर बराबर देती है । हमे इन दोनों से कुछ ना कुछ सीखना चाहिए कि जाहे हमारी ज़िन्दगी में कैसी भी परिस्थिति आए हमे घबराना नहीं चाहिए और उन सब चुनौतियों का हिम्मत से सामना करना चाहिए। #सवेरे