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याद तो मुझे बहुत ही आते हो तुम, आज भी मुझे उतना ही

याद तो मुझे बहुत ही आते हो तुम,
आज भी मुझे उतना ही सताते हो तुम,
तम्हें याद है मेरे साथ बिताया वो गुजरा वक्त?
सिनेमा के अंधेरों मे पकडे मेरे हाथों की नब्ज़,
तुम्हें याद भी है क्या उस शाम को कौन सी थी वो फिल्म?
जब जाते हुए मोटरसाइकिल की ठोकरों पे मिले थे जिस्म?
वो एहसास कैसे भूली तुम?जो था मेरे छुवन का?
मैं तो नहीं भूला जो बेहद ही खुबसूरत बदन था,
मुझे भी तो वो शानदार असरदार तरकीब बताओ,
किसी को दिल मे अगर बसालो,तो फिर कैसे भुलाओ?
सच मे खुश हो या मेरी तरह जताते हो तुम?
आज भी मुझे उतना ही सताते हो तुम,

read complete poem in caption याद तो मुझे बहुत ही आते हो तुम,
आज भी मुझे उतना ही सताते हो तुम,
तम्हें याद है मेरे साथ बिताया वो गुजरा वक्त?
सिनेमा के अंधेरों मे पकडे मेरे हाथों की नब्ज़,
तुम्हें याद भी है क्या उस शाम को कौन सी थी वो फिल्म?
जब जाते हुए मोटरसाइकिल की ठोकरों पे मिले थे जिस्म?
वो एहसास कैसे भूली तुम?जो था मेरे छुवन का?
मैं तो नहीं भूला जो बेहद ही खुबसूरत बदन था,
याद तो मुझे बहुत ही आते हो तुम,
आज भी मुझे उतना ही सताते हो तुम,
तम्हें याद है मेरे साथ बिताया वो गुजरा वक्त?
सिनेमा के अंधेरों मे पकडे मेरे हाथों की नब्ज़,
तुम्हें याद भी है क्या उस शाम को कौन सी थी वो फिल्म?
जब जाते हुए मोटरसाइकिल की ठोकरों पे मिले थे जिस्म?
वो एहसास कैसे भूली तुम?जो था मेरे छुवन का?
मैं तो नहीं भूला जो बेहद ही खुबसूरत बदन था,
मुझे भी तो वो शानदार असरदार तरकीब बताओ,
किसी को दिल मे अगर बसालो,तो फिर कैसे भुलाओ?
सच मे खुश हो या मेरी तरह जताते हो तुम?
आज भी मुझे उतना ही सताते हो तुम,

read complete poem in caption याद तो मुझे बहुत ही आते हो तुम,
आज भी मुझे उतना ही सताते हो तुम,
तम्हें याद है मेरे साथ बिताया वो गुजरा वक्त?
सिनेमा के अंधेरों मे पकडे मेरे हाथों की नब्ज़,
तुम्हें याद भी है क्या उस शाम को कौन सी थी वो फिल्म?
जब जाते हुए मोटरसाइकिल की ठोकरों पे मिले थे जिस्म?
वो एहसास कैसे भूली तुम?जो था मेरे छुवन का?
मैं तो नहीं भूला जो बेहद ही खुबसूरत बदन था,
namitraturi9359

Namit Raturi

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