मैं और मेरी दीवारें,,अक्सर आपस में बातें करते,,, पूरा कैप्शन में,,, था खाली उदास सा दिन और मेरा कमरा कभी उसको मैं देखूं,,कभी वो मुझ को देखें,,, मैं मुस्कुराओ वो भी मुस्कुरा जाय मेरे संग मेरे पैर थिरके तो वो भी डोल गया मेरे संग,,, अलसाई नजरों से देख रहा मुझको जैसे पूछ रहा हो,मुझको,,