सकल चराचर की अनन्त सीमाओं तक खोजोगी तुम सरल-निश्छल प्रेम के बिम्ब को, जैसे मृग ढूंढता हैं कस्तूरी। न होना विकल अधिक तुम मैं तुम्हारे ह्रदय के आलिन्द या निलय में ही रहूंगा, बिल्कुल कस्तूरी की ही तरह।।❣😊 सुकुमार....✒ कस्तूरी