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ना जाने क्यों तुम जानी-पहचानी सी लगती हो, मेरे दर

ना जाने क्यों तुम जानी-पहचानी 
सी लगती हो,
मेरे दर्द-ए-दिल की निशानी
सी लगती हो। निशानी सी लगती हो।
ना जाने क्यों तुम जानी-पहचानी 
सी लगती हो,
मेरे दर्द-ए-दिल की निशानी
सी लगती हो। निशानी सी लगती हो।

निशानी सी लगती हो। #Shayari