सारा हुनर रख , कहा चली गई, जिसने किया आपका इंतजार, मोहब्बत की बेमिसाल, उसकी मन्नते थी हजार, ओर आपने क्या कह दिया, हुनर नहीं है मोहब्बत का आपके पास, ये कैसा इंसाफ|| अपने हुनर से हर दरिया को पार करने की हिम्मत रखती हूँ, मगर ये इश्क़ नाम का पत्थर हैं जो मुझसे तैराया नहीं जाता! #sutharo_ki_mahfil