कुछ भी-कितना भी कह लूँ, मिलता एक ही है जवाब, कठिन भी, सरल भी, हर 'हम्म' का, एक ही है रुआब। अपना रहा है कि टरका रहा, हमेशा समझना मुश्क़िल, नफ़रत में मिले या उल्फ़त में, सबका एक ही है ग़ुराब। हज़ार कोशिशों के बाद भी होता नहीं कभी कोई पास, किताबी इश्क़ का जैसे बनाया गया एक ही है निसाब। नज़रअंदाज़ी को बड़ी आसानी से देते हैं नाम दिल्लगी, एहसास हो या एहसान, फिर सबका एक ही है हिसाब। माँग-माँगकर जो पाया, वो दिल से दिया ही कहाँ 'धुन', डरके या रख ख़याल, असर इनका एक ही है, अज़ाब। ग़ुराब- Arrogance, Pride निसाब- Syllabus अज़ाब- Torment, Agony Rest Zone आज का शब्द- 'नफ़रत' #rzmph #rzmph157 #नफ़रत #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #yqdidi #rzhindi