आत्मचिन्तन, आत्मशोधन एवं आत्मनिर्माण का कार्य उतना ही सरल है जितना शरीर को सर्वांगासन, मयुरासन, शीर्षासन आदि आसनों के लिए अभ्यस्त कर लेना। अभ्यस्त