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बिन सफर बिन मंजिल का एक रास्ता होना चाहता हूं। कह

बिन सफर बिन मंजिल का एक रास्ता होना चाहता हूं। 
कहीं दूर किसी जंगल में ठहरा दरिया होना चाहता हूं ।
एक जिंदगी होना चाहता हूं बिना रिश्तों और रिवाजों की
 दूर आसमान से गिरते झरने में कहीं खोना चाहता हूं ।
मैं आज ,मैं होना चाहता हूं।। #safarnam -e-zindagi
बिन सफर बिन मंजिल का एक रास्ता होना चाहता हूं। 
कहीं दूर किसी जंगल में ठहरा दरिया होना चाहता हूं ।
एक जिंदगी होना चाहता हूं बिना रिश्तों और रिवाजों की
 दूर आसमान से गिरते झरने में कहीं खोना चाहता हूं ।
मैं आज ,मैं होना चाहता हूं।। #safarnam -e-zindagi