लिखूँ भी तो क्या लिखूँ मैं अब यार मेरा रुठ गया है साथ हमारा छूट गया है वो वक़्त नही देता मुझे हरदम शिकायत रहती थी औऱ मैं बेवक़्त बात किया करती हूँ उन्हें ये शिक़ायत रहती थी, ये सब तो एक बहाना था शायद ये सफ़र यही तक जाना था हो न हो वो भी मुझे अब याद करेगा