दबे-कुचले लोगों की मुखर आवाज़ रोकते हो? उड़ने को बेताब परिंदों की परवाज़ रोकते हो? तुम पर कब होता था गिड़गिड़ाने का असर, अब हमारे ये बहके हुए अंदाज़ रोकते हो?