"तुम ठहर गए होते तो ऐसा ना होता," हम साथ ढलते सूरज को देख रहे होते और चॉद को भी बैठ निहार रहे होते । बारिशो के आने पर मेरे होंठ मुस्कुरा रहे होते ,तेरी गलियों से गुजरते तो हम कुछ गुनगुना रहे होते । तुम ठहर गए होते तो आज मै ठगा हुआ सा न रहता , मेरा जीवन ही मेरे लिए किराये का घर नही लगता ।। # तुम ठहर गए होते तो ऐसा न होता