"मैनें अक्सर देखा हैं जख्मों को खुद पर ज्यादा हवी होने देते हैं.. तो ये गलत हो रहा हैं ;मेरे हिसाब से, तो अब कभी भी उनसे बाहर निकल नहीं पाओगे... जख्मों को कभी खुशी समझकर उनसे ही खेल लेना.. जब आप ऐसे करने लगोगे.. मेरा मानना है... आप जिंदगी को और भी बेहतर बना लोगे... जख्म भी आप से मेहरबान हो कर आपको भी तकलिफ देना छोड़ देंगें.. 😘❤🌹 ©ganesh suryavanshi जख्म भी अच्छे होते है उनसे जरा खुशी खुशी अपना लो #BookLife