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गजल अब हंसते खेलते रहने का हुनर छोड़ दिया उसने स

गजल

अब हंसते खेलते रहने का हुनर छोड़ दिया उसने
 सूख गया दरिया बहने का हुनर छोड़ दिया उसने

 सच्चाई की सोहबत मे रहा न जाने फिर भी क्यों
 कहते कहते सच कहने का हुनर छोड़ दिया उसने

और कब तक सहता मार प्यार,वफ़ा एहसानों की
धीरे धीरे ये सब सहने का हुनर छोड़ दिया उसने

उस खंण्डहर मकान मे परिंदों के बसेरे क्या हुए की
जर्जर होकर भी ढहने का हुनर छोड़ दिया उसने

बहुत उठाया एक तरफा नुकसान शायद इसलियें ही
अब दिल देकर दिल लेने का हुनर छोड़ दिया उसने

मारूफ आलम
सोहबत-साथ, संग हुनर छोड़ दिया उसने/गजल
गजल

अब हंसते खेलते रहने का हुनर छोड़ दिया उसने
 सूख गया दरिया बहने का हुनर छोड़ दिया उसने

 सच्चाई की सोहबत मे रहा न जाने फिर भी क्यों
 कहते कहते सच कहने का हुनर छोड़ दिया उसने

और कब तक सहता मार प्यार,वफ़ा एहसानों की
धीरे धीरे ये सब सहने का हुनर छोड़ दिया उसने

उस खंण्डहर मकान मे परिंदों के बसेरे क्या हुए की
जर्जर होकर भी ढहने का हुनर छोड़ दिया उसने

बहुत उठाया एक तरफा नुकसान शायद इसलियें ही
अब दिल देकर दिल लेने का हुनर छोड़ दिया उसने

मारूफ आलम
सोहबत-साथ, संग हुनर छोड़ दिया उसने/गजल
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Maroof alam

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