ना मंजिल की ख़बर है ना ज़िन्दगी का ठिकाना है अब तो दिल भी कह रहा, जाने किस ओर जाना है अजीब सी दास्तांँ है ये, अजीब सा भी जमाना है जाने किस ओर अपना, जाने किस ओर बेगाना है ना मौत भी आए, ना ज़िन्दगी में सुकून का बहाना है अब तो आंँखें भी कह रही, चल इसका बंद हो जाना है मेरे बाद भी हंँसना तुम, और सबको भी हंँसाना है अब तो जाते-जाते लोगों से, यहीं कह जाना है 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को प्रतियोगिता:-39 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6-8 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा। 💫 प्रतियोगिता ¥39:- अजीब सी दास्ताँ है