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ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक है, तू सितम


 ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक है, 
 तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक है 
 वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी, 
 हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक है।

©Mukesh Nishad
  bard dile #shayri

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