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रात रात जग रहा था मैं दर्द से , बूंद बूंद बह रहे थ

रात रात जग रहा था मैं दर्द से ,
बूंद बूंद बह रहे थे मोती आँखों से,
तप गई थी देह देखो भीषण ठंड में ,
आ गई थी माँ मेरे अंतिम क्षण में।।

लोरी गा के थपथपा के कष्ट हर गई,
मेरी माँ देखो मेरे पक्ष आ गई।।
दौड़-दौड़ आ रहे थे यमलोक से,
निराशावादी हो गए थे उस लोक के।।

काल काल विकराल यम आ गए,
सहस्त्र शस्त्र दंड का प्रहार कर गए ,
'श्यामल' को खरोंच देखो एक ना आई,
कवच बन ममता माँ की आड़े आ गई।।

पुष्प पुष्प सा देखो महकने लगा,
मेरा जीवन देखो कैसे खिलने लगा,
मार मार डांट डांट से मैं बन गया,
चरित्र का देखो मैं महान बन गया।।

दान दान वरदान ऐसे दिये,
मेरी माँ ने मुझको ऐसे आशिष दिये ,
हर ना पाए मुझको वशीकरण कोई ,
ऐसा जादू टोना ऐसे मंतर दिये।।

भूल -भूल भूल चूक ऐसे किए,
बिन माफी वाली ऐसी गलती किए,
कल - कल आज कल गिरता रहा,
माँ की उंगली थामे 'श्यामल' चलता रहा।।

पर्वतों पे पर्वतों पे चढ़ता रहा,
झीलों की गहराई में तैरता रहा,
हर जगह पर - हर जगह पर माँ तुम मिली,
तेरा साया माँ साथ चलता रहा। ma k lie geet
Geet on ma

रात रात जग रहा था मैं दर्द से ,
बूंद बूंद बह रहे थे मोती आँखों से,
तप गई थी देह देखो भीषण ठंड में ,
आ गई थी माँ मेरे अंतिम क्षण में।।
रात रात जग रहा था मैं दर्द से ,
बूंद बूंद बह रहे थे मोती आँखों से,
तप गई थी देह देखो भीषण ठंड में ,
आ गई थी माँ मेरे अंतिम क्षण में।।

लोरी गा के थपथपा के कष्ट हर गई,
मेरी माँ देखो मेरे पक्ष आ गई।।
दौड़-दौड़ आ रहे थे यमलोक से,
निराशावादी हो गए थे उस लोक के।।

काल काल विकराल यम आ गए,
सहस्त्र शस्त्र दंड का प्रहार कर गए ,
'श्यामल' को खरोंच देखो एक ना आई,
कवच बन ममता माँ की आड़े आ गई।।

पुष्प पुष्प सा देखो महकने लगा,
मेरा जीवन देखो कैसे खिलने लगा,
मार मार डांट डांट से मैं बन गया,
चरित्र का देखो मैं महान बन गया।।

दान दान वरदान ऐसे दिये,
मेरी माँ ने मुझको ऐसे आशिष दिये ,
हर ना पाए मुझको वशीकरण कोई ,
ऐसा जादू टोना ऐसे मंतर दिये।।

भूल -भूल भूल चूक ऐसे किए,
बिन माफी वाली ऐसी गलती किए,
कल - कल आज कल गिरता रहा,
माँ की उंगली थामे 'श्यामल' चलता रहा।।

पर्वतों पे पर्वतों पे चढ़ता रहा,
झीलों की गहराई में तैरता रहा,
हर जगह पर - हर जगह पर माँ तुम मिली,
तेरा साया माँ साथ चलता रहा। ma k lie geet
Geet on ma

रात रात जग रहा था मैं दर्द से ,
बूंद बूंद बह रहे थे मोती आँखों से,
तप गई थी देह देखो भीषण ठंड में ,
आ गई थी माँ मेरे अंतिम क्षण में।।