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मेरी इन आँखों ने आज कैसा मंज़र देखा है , आईना है शर

मेरी इन आँखों ने आज कैसा मंज़र देखा है ,
आईना है शर्माता एक माहताब देखा है ..,
है रौनक आज बड़ी फ़िज़ाओं में हमनशीं 
चाहत के सौ रंग लिए मैंने जमीं पर एक 
आफ़ताब देखा है ! 

(अनुशीर्षक में ...)  DQ : 

मेरी इन आँखों ने आज कैसा मंज़र देखा है ,
आईना है शर्माता एक माहताब देखा है ..,
है रौनक आज बड़ी फ़िज़ाओं में हमनशीं 
चाहत के सौ रंग लिए मैंने जमीं पर एक आफ़ताब देखा है ! 

तेरे माथे की बिंदिया आज करदे ऐसे सितम ,
मेरी इन आँखों ने आज कैसा मंज़र देखा है ,
आईना है शर्माता एक माहताब देखा है ..,
है रौनक आज बड़ी फ़िज़ाओं में हमनशीं 
चाहत के सौ रंग लिए मैंने जमीं पर एक 
आफ़ताब देखा है ! 

(अनुशीर्षक में ...)  DQ : 

मेरी इन आँखों ने आज कैसा मंज़र देखा है ,
आईना है शर्माता एक माहताब देखा है ..,
है रौनक आज बड़ी फ़िज़ाओं में हमनशीं 
चाहत के सौ रंग लिए मैंने जमीं पर एक आफ़ताब देखा है ! 

तेरे माथे की बिंदिया आज करदे ऐसे सितम ,