Mystery में सुबह नहीं ना शाम हु...... ना गुज़रा वक़्त ना हराम हु........ ना बेलफ़्ज़ कोई नाम हु........... में आज हु सायद में हु पर कल नहीं में गुहार हूँ खुद से सुनी पुकार हु....... खुद के रफ़ाज़ में लीन हु......... खैरियत से हूँ लेकिन हीन नही कुछ के लिए में हाफिज भी हु......... सायद हराज़ भी हु ........ लेकिन हराज़ के लिए नहीं में आम हु..... बस खुद के लिए तमाम हु.... ©G0V!ND_DHAkAD #mystery I am #ordinary ..... I am all for myself…. #रहस्य