सीता राम चरित अति पावन। मधुर सरस अरु अति मन भावन।। पुनि पुनि कितनेहू सुने सुनाये। हिय की प्यास भुजत न भुजाये।। प्रिय रामचरितमानस जरूर पढ़ना।।... जीवन के अनुबंधों की, तिलांजलि संबंधों की, टूटे मन के तारो की, फिर से नई कड़ी गढ़ना, प्रिय रामचरितमानस पढ़ना।।