जबान पर ताले और पैरों के छाले चेहरे पर बेबसी और खुद मेहनत कर फसल उगाए खुद की मजबूरी से सबके पेट ना जो पाल पाए वही है वो जो किसान कहलाए है चक्षु मे क्रोध और दिल मे प्रेम सताये जिन्हें परिवारो की याद और हिफाजत करने है देश के तैनात है जो सीमा पर और डट कर सामना करे जो दुश्मन के वही है वो जो जवान कहलाए है हाथो में दस्ताने और सुई और दिल भी है थोड़ा नरम घर की भी याद आती और बच्चों की फिक्र भी सताती लड़ रहे हैं इस महामारी से लाखों की जान बचा रहे भगवान् स्वरुप है वही है वो जो हकीम कहलाए है वर्दी पहने अपने काम कर रहे और रास्ते में कायदे से जाने की हिदायत दे रहे दिल सहम भी जाए और बहला रहे संगीत सुना लाखो करोडों का दिल वही है वो जो पुलिस कहलाए है देखरेख भी कर रही और रख रही ध्यान खाने पीने का....... बीमारी भूल बीमारों को सम्भाल रहीं और समय समय पर औषधि दे रही...... वही है वो जो नर्स कहलाए हैं.....!! ©विद्या झा #Beauty #poem #COVIDー19Warriors