जो सेवक श्रीराम कर, पावत नहि दुर्भाग्य। पग रज मस्तक धेनु की, खिलत परम सौभग्य। #गाय #दोहा #doha #कविता #poetry #poem #poet जो सेवक श्रीराम कर, पावत नहि दुर्भाग्य। पग रज मस्तक धेनु की, खिलत परम सौभग्य।। ✍️अवधेश कनौजिया©